जर्नल एंट्री क्या है ?( Journal Entry)
जर्नल एंट्री क्या है ?( Journal Entry)
मनुष्य अपने सभी लेन-देनों (Transactions) को याद नहीं रख सकता। इसी कारण अकाउंटिंग (Accounting) की आवश्यकता अनुभव हुई । प्राचीन काल में व्यापार (Business) बहुत छोटे पैमाने पर होता था। जिस कारण लेन-देनों साधारण ढंग से लिखा जाता था।
लेकिन आज के इस युग में लेन-देनों के लिए अकाउंटिंग का प्रयोग होता है जिसका पहला कदम जर्नल एंट्री( Journal Entry) है । इसमें व्यापार में होने वाले प्रत्येक लेन-देन के दोनो पक्षों को तिथिवार ( Date Wise) लिखा जाता है । प्रत्येक
लेन-देन (Transaction) दो पक्षों में लिखा जाता है । एक पक्ष डेबिट(Debit) तथा दूसरा पक्ष क्रेडिट(Credit) होता है अर्थात एक पाने वाला तथा दूसरा देने वाला । डेबिट को (Dr) तथा क्रेडिट को (Cr) से प्रदर्शित किया जाता है ।
Example- नरेश को 50000 का माल बेचा (Goods Salse to Ramesh)
यहां रमेश पाने वाला है इसलिए रमेश को डेबिट किया जाएगा । एंट्री कुछ इस प्रकार होगी।
RAMESH........... 50000
To Salse A/C। 50000
जर्नल का प्रारूप ( Format of Journal)
जर्नल के फॉर्मेट में 5 खाने (Coulums) होते है .
- Date
- Particular
- Ledger Folio(L.F)
- Amount(Debit)
- Amount (Credit)
2.Particular: इस खाने में लेन देन का विवरण दिया जाता । विवरण में डेबिट और क्रेडिट होने वाले खातों के नाम लिखे जाते हैं। पहली लाइन में डेबिट खाते का नाम और उसके आगे Dr शब्द लिखा जाता है। और दूसरी लाइन में क्रेडिट होने वाले का नाम दिया जाता है उसके पहले To शाब्द का प्रयोग करते है । जैसे 👇👇👇👇
Ram.....
To Salse A/c
3.Ledger Folio: जर्नल के बाद खाताबही(Ledger) तैयार किया जाता है । खाताबही के के जिस पन्ने पर ये खाता खोला जाता है उसका पन्ना नंबर लिखा जाता है ।
4. Amount(Dr): इस खाने में डेबिट होने वाले लेन देन की रकम लिखी जाती है ।
5. Amount(Cr):। इस खाने में क्रेडिट होने वाले लेन देन की रकम लिखी जाती है ।
डेबिट और क्रेडिट की रकम का योग बराबर होना चाहिए।
आपको ये पता चल गया होगा की जर्नल एंट्री करने दो पक्ष होते है एक डेबिट और दूसरा क्रेडिट अब सवाल ये उठता है किसको डेबिट किया जाए और किसको क्रेडिट इसको समझने के लिए हमारा अगला ब्लॉग नीचे दिए हुए लिंक पर जाकर पढ़ें।👇👇👇👇👇
जर्नल एंट्री में डेबिट क्रेडिट करने के नियम(Rules of Journalising
जर्नल एंट्री के बाद खाताबही (Ledger) तैयार की जाती जिसमें हर लेन देन का अलग अलग खाता तैयार किया जाता है खाताबही बारे में भी आप हमारा ब्लॉग पढ़ सकते है ।👇👇👇
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